Tuesday, April 2, 2013

Holi...:)

हर रंग मे तेरा एहसास समाया है,
हर फूल मे तेरी खुश्बू को पाया है,
दिल डूबा है तेरे प्यार की गहराइयों में...
ये त्योहार मुझे तेरे और करीब ले आया है...


 ~~ समीक्षा रघुवंशी
      1-April-2013

Monday, March 18, 2013

मन उड़ चला…


सपनों की चादर ओढ़ के,
लोरी की झांझर पहन,
मन उड़ चला…
मन उड़ चला…

क्यों उड़ चला बाँवरे…

सुन रुक ज़रा
साँसे थाम ले…

उस ओर काफ़ी शोर है,
ना जा उधर
ना पंख यूं पसार ले…

ना हो ये दर्पण…
कहीं टूटे ना
थोड़ा तू यहीं संभल जा…
तू रुक ज़रा बाँवरे…

सुन तो ज़रा…
ना तेज़ चल
राहें अजब ही हो रहीं…

कुछ उलझा है पंखों में तेरे
आज खुद को थाम ले…

ना तेज चल रुक तो सही
मन मेरे बाँवरे…

ख्वावोन के पंख ले उड़ चला
तू किधर मन बाँवरे....



समीक्षा रघुवंशी
8 मार्च 2013

Friday, March 8, 2013

सपनों के पिटारे मे कहानी बहुत हैं



सपनों के पिटारे मे कहानी बहुत हैं
चुनना तुम्हें है ठिकाने बहुत हैं
कहने को तो कह दूं पर फसाने बहुत हैं
सुनना है तुमको मन के तराने बहुत हैं
सपनों के पिटारे मे कहानी बहुत हैं ...


~~ समीक्षा रघुवंशी
     7-march-2013